बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों की घोषणा हो चुकी है। लोकसभा में 18 सीटें जीतने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं। वहीं ममता बनर्जी लगातार मोदी और केंद्र को निशाने पर ले रही हैं। बंगाल विधानसभा में कुल 295 सीटें हैं, जिसमें 294 पर अलग अलग उम्मीदवार अपनी उम्मीद लगायेंगे। सरकार बनाने के लिए 148 के जादुई आंकड़े को छूना होगा।
ममता की लोकप्रियता और मोदी का कद
ममता बनर्जी बंगाल की मौजूदा राजनीति में सबसे बड़ा नाम हैं। 20 मई 2011 को मुख्यमंत्री बनने के बाद सत्ता पर उनका अधिकार है। वहीं एक बार फिर बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनावी मैदान में है। दिलीप घोष और कैलाश विजयवर्गीय जैसे चेहरे भी जमीन पर मौजूद हैं, लेकिन शीर्ष पर मोदी को ही बिठाया गया है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो टीएमसी को 211 और बीजेपी को मात्र 3 सीटें मिली थीं। ऐसे में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होने वाली है।
राम लगायेंगे बेड़ा पार
भगवान राम अयोध्या से बंगाल तक आस्था ही नहीं, राजनीति में भी मौजूद हैं। हाल ही में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर वह फिर चर्चा में आये। जैसे ही ममता बनर्जी भाषण देने आई सामने जनता जय श्री राम का उद्घोष करने लगी। मंच पर प्रधानमंत्री भी उपस्थित थे। ममता बनर्जी ने झुंझलाहट में अपनी बात भूलकर मर्यादा और सम्मान का पाठ पढ़ा दिया।
इसके पहले भी कई बार जय श्री राम के नारे पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई है। बीजेपी इसी मुद्दे को हवा देकर हिंदू वोट को साध रही है। दूसरी तरफ मुस्लिम वोट बैंक और बांग्लादेश से आये शरणार्थियों पर ममता की नज़र है।
मुद्दे की नहीं, नफरत वाली सियासत
नेताजी से लेकर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और भगवान राम केंद्र बिंदु में आ गये हैं। चुनाव से पहले ही बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ता कई बार आमने सामने आ चुके हैं। हिंसा और नफरत के बीच वोटिंग की प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण होने वाली है। बीजेपी बंगाल में सत्ता की तलाश कर रही है लेकिन मुद्दों में बंगाल की जनता कितनी है, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं टीएमसी के लिए पार्टी में फूट और जनता में ढ़ीली होती पकड़ को कितना मजबूत करना चुनौती होगी।