साल 2020 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को महज़ एक साल में गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी का बड़ा बयान आया है। राहुल गाँधी ने कहा कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में रहते तो मुख्यमंत्री बन सकते थे। लेकिन उन्हें शायद बीजेपी बैक बेंचेर बनना ही पसंद इसलिए उन्होंने पार्टी का साथ छोड़ दिया।
राहुल गाँधी ने एक युथ विंग के कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में कहा कि सिंधिया अगर कांग्रेस में रहते तो वो चीफ मिनिस्टर बन सकते थे। लेकिन अब वो सिर्फ बीजेपी के बैक बेंचेर (पीछे की सीट पर बैठने वाले) बनकर रह गए है। राहुल गाँधी ने कहा कि मैंने उनसे कहा था कि आप एक दिन मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन उन्होंने अलग ही रास्ता चुन लिया। खबर ये भी है कि राहुल गाँधी ने कहा है कि सिंधिया बीजेपी में रहते हुए कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते ये बात मैं लिख कर भी दे सकता हूँ, इसके लिए उन्हें कांग्रेस में आना पड़ेगा।
22 विधायकों के साथ छोड़ी थी पार्टी
आपको बताते चले कि विगत वर्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने 22 विधायकों के साथ कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी ने राजयसभा भेज दिया गया था और वह वर्तमान में राज्यसभा सांसद है। वही पार्टी से इतने विधायकों के एक साथ स्टीफ़े के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई थी। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ थे। जो सिर्फ 13 महीने ही सरकार चला पाए थे।
कमलनाथ पर लगाए थे आरोप
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी पर यह आरोप लगाते हुए पार्टी का साथ छोड़ा था, कि पार्टी में उन्हें कुछ काम करने नहीं दिया जा रहा था और पार्टी जनता के जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आई थी ,उन मुद्दों से भी भटक रही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये भी आरोप था कि कमलनाथ अपने क्षेत्र पर ध्यान दे रहे थे । जबकि सिंधिया का गढ़ कहे जाने वाले ग्वालियर चम्बल में विकास के नाम पर लोगो के साथ धोखा कर रहे थे।
जबकि कांग्रेस पार्टी का सिंधिया और उनके समर्थक पर आरोप था कि इन लोगो ने जनता के साथ विश्वासघात किया है और पैसो के लिए ये लोग बिक गए है।
गौरतलब हो कि उसके बाद मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिसमे बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस को 9 सीटें मिली थी।जिसके बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनी थी।