यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह इतिहास में राम भक्तों के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। जिन्होंने भव्य और दिव्य राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त किया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने उनकी स्मृति में आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा में यह बातें कहीं।
वही ट्रस्ट के अध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि कल्याण सिंह राम जन्मभूमि आंदोलन के ऐसे सहयोगी थे जो राम जन्मभूमि आंदोलन से अलग थे। लेकिन बाहर रहकर सहयोग कर रहे थे लिहाजा साधु संतों द्वारा उनकी श्रद्धांजलि का कार्यक्रम आयोजित करना याद रखी जाने वाली बात है। वही संघ में अलग-अलग महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके भैया जी जोशी ने कहा कि उन्होंने कल्याण का कार्य किया और अब उसको प्रशस्त करने की जिम्मेदारी हम लोगों की है ।
राम नगरी के रूप में विख्यात अयोध्या में कल्याण सिंह की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राम मंदिर ट्रस्ट के शीर्ष पदाधिकारियों से लेकर भारतीय जनता पार्टी के सभी विधायक और अयोध्या जनपद के सांसद तक मौजूद थे। अयोध्या संत समिति के द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में साधु संतों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी थी।
जब तक या ढांचा दूर नहीं होता तब तक राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त नहीं होता
इस दौरान लगभग सभी ने कल्याण सिंह को लेकर अपनी स्मृतियों को साझा किया और उन्हें इतिहास में राम भक्तों के रूप में पहचाने जाने और राम मंदिर और अयोध्या के लिए उनके अमूल्य योगदान को लेकर सराहना की। इस दौरान 1992 के दौरान कारसेवकों पर गोली ना चलवाने और उसके लिए खुद जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी और सरकार कुर्बान करने को लेकर चर्चा हुई, तो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा उनके नाम पर राम मंदिर को जाने वाले मार्ग का नाम कल्याण सिंह मार्ग रखने पर हर्ष भी व्यक्त किया गया ।
इस दौरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने कहा कि मेरा प्रमुख उद्देश्य कि मैं एक राम भक्त को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। वह माननीय मुख्यमंत्री थे,वह माननीय राज्यपाल थे, यह सारी बातें महत्वपूर्ण नहीं है और उन्होंने इन पदों का उपयोग अपनी उत्कृष्ट के लिए किया या भी अत्यंत सराहनीय बात है। किंतु इतिहास में जाने जाएंगे एक उस महान राम भक्तों के रूप में जिन्होंने भव्य दिव्य राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त किया जब तक या ढांचा दूर नहीं होता तब तक राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त नहीं होता।
कल्याण सिंह पथ यह नाम वास्तव में प्रेरणा देगा इतिहास को हमारे भीतर पुनः जागरूक करेगा
वह इसके लिए संकल्पित थे वह इतने संकल्पित थे कि उन्होंने उस कुर्सी का त्याग करने के लिए निरंतर तैयार थे। उनके अंतकाल में राम जी का मंदिर ही बसा हुआ था। ऐसा एक अत्यंत तेजस्वी पुरुष हम लोगों ने देखा जो स्वयं अपने पदों से दूर होने के पश्चात भी राम मंदिर की चिंता करते रहे। राम मंदिर का ही चिंतन करते रहे। राम मंदिर के इस निर्माण कार्य में उनका या योगदान हम लोगों के लिए सोसोडिये रहेगा ही रहेगा। मैं आज उत्तर प्रदेश सरकार का भी अभिनंदन करना चाहता हूं कि उन्होंने उनका नाम मंदिर की ओर आने वाली पथ को देने का निश्चय किया है। कल्याण सिंह पथ यह नाम वास्तव में प्रेरणा देगा इतिहास को हमारे भीतर पुनः जागरूक करेगा।
और यह भी दिखाएगा कि अभी भी त्याग करने वाले महापुरुषों की इस देश में कमी नहीं है भगवान श्री राम के भक्त जैसे राम जी ने अपने पद का त्याग सरलता से स्वीकार किया था। अपने पिता के वचन के लिए उसी प्रकार हमारे पूर्वजों की कृति को कल्याण सिंह जी ने सत्ता का त्याग स्वीकार किया। सत्ता आती है जाती है गद्दी आती है जाती है किंतु या राष्ट्र की धारा धर्म की धारा जीवन मूल्यों की धारा अवैध रूप से बहती रहनी चाहिए। जिससे मानवता का कल्याण होगा इस महान कार्य में उनका योगदान निरंतर स्मरणीय रहेगा उनको भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
मैं राजनीति में कभी नहीं रहा सहयोगी राजनीति में रहते हैं
वहीं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने कहा कि कल्याण सिंह मेरे सहयोगी नहीं है। मैं राजनीति में कभी नहीं रहा सहयोगी राजनीति में रहते हैं। लेकिन राम जन्मभूमि आंदोलन के सहयोगी थे। आंदोलन का संयोग होने का अर्थ होता है राम जन्म भूमि से अलग थे लेकिन बाहर रहकर के सहयोग कर रहे थे। वह राम जन्म भूमि की मुक्ति हिंदुस्तान की इज्जत वहां सब एक थे। संतो ने सभा आयोजित की इसका अर्थ है साधु संतों के हृदय में उनका स्थान है।
उन्होंने सबको अपना बनाया साधु संतों के हृदय में उनका स्थान है। इस बात का प्रतीक है यह राजनीति क्षेत्र के लिए एक दुर्लभ छति है। राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति का श्रद्धांजलि आयोजन साधु संतों के द्वारा किया जाए यह भी एक याद रखे जाने वाली बात है।