“गंगूबाई” ये वो नाम है जो आजकल कुछ ज्यादा ही चर्चा में है वज़ह है “संजय लीला भंसाली” की आ रही फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’। इस फिल्ल्म में गंगूबाई का किरदार “आलिया भट्ट” निभा रही है। फ़िल्म का ट्रेलर भी रिलीज़ हो गया है जिसमे आलिया भट्ट गंगूबाई के रोल में काफी आक्रामक तेवर में नज़र आ रही है। आखिर कौन है ये गंगूबाई? जिसकी कहानी को लेकर इतनी बड़ी फिल्म बन रही है।
गंगूबाई ये वो नाम है जो सिर्फ कोठे तक ही नहीं सीमित था। इस नाम से मुंबई में अंडरवर्ल्ड के बड़े बड़े डॉन भी कांपते थे किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो बगैर गंगूबाई की इज़ाज़त के कोठे पर जबरदस्ती दस्तक देने पहुंच जाए।
फिल्मों में हीरोइन बनने का था सपना
गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास था। वो गुजरात के काठीवाड़ की रहने वाली थी। गंगा के भी अपने कई सपने थे वो बड़ी होकर फिल्मो में हीरोइन बनना चाहती थी बचपन में माता पिता का खूब प्यार मिला लेकिन गंगा को अपने माता पिता की एक बात न मानना इतना भरी पड़ेगा शायद उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। पढाई के दौरान ही अपने कॉलेज के दिनों में गंगा को महज़ 16 साल की उम्र में अपने पिता के अकाउंटेंट से प्यार हो जाता है प्यार तक तो सब ठीक था लेकिन ये बात जान गंगा के माता पिता को पता चली तो उनसे बेटी को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन अपने उस अंधे प्यार के आगे गंगा ने माँ बाप के अटूट रिश्ते को भी ठुकरा दिया और उसी के साथ भागकर मुंबई चली आई और यही पर उससे शादी कर ली। यहाँ तक तो गंगा के जीवन में बहरहाल कुछ ज्यादा बुरा नहीं चल रहा था और कही न कही मुंबई आकर उसे भी लगने लगा था कि उसका हीरोइन बनने का सपना भी पूरा हो जाएगा लेकिन यही से शुरुआत होती है उसके एक बुरे दौर की। उसका पति जिसके लिए गंगा ने अपना सबकुछ यहाँ तक की माँ बाप को भी छोड़ दिया था उसने महज़ 500 रूपये में उसे एक कोठे पर बेच दिया जहाँ रोज उसके और उसके सपनो के साथ उसके जिस्म का सौदा होता लेकिन अब वो भी कर सकती थी सिर्फ अपने आप को और प्यार को कोसने के अलावा।
अंडरवर्ल्ड ने की थी मदद
लेकिन इसी बीच गंगा के साथ जो हुआ भले ही वो अच्छा नहीं हुआ लेकिन उसने शायद गंगा को जीने का एक मकशद दिया। उस दौर में मुंबई के अंडरवर्ल्ड में करीमलाला का नाम काफी चर्चित था एक दिन उसके किसी गुंडे ने गंगा के साथ जबरदस्ती कर दी जिसके बाद इंसाफ मांगने गंगा करीमलाला के पास पहुंच गई। करीमलाला ने इन्साफ के साथ गंगा को एक तोहफ़ा ऐसा दिया जिससे उसके जिंदगी में एक अलग ही उम्मीद आ गई करीमलाला ने गंगा को अपनी मुँहबोली बहन बना लिया जिसके बाद शुरू होती है गंगा के गंगूबाई बनने की कहानी।
करीमलाला का सिर पर हाथ होने के बाद गंगा का कद ही बढ़ गया और वो अब कमाठीपुरा की कोठेवाली गंगूबाई बन गई और जल्द ही पूरे कोठे की कमान गंगूबाई के हाथों में आ गई। गंगा एक नेक दिल वाली महिला थी इसलिए उसने कभी किसी भी लड़की के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की। जो भी लड़की स्वेच्छा से आती थी वो ही वहां पर काम करती थी।
अखबारों में भी खूब सुर्खियों में रही गंगूबाई
गंगूबाई के अंदर मानवता कूट कूट कर भरी थी उसने सेक्स वर्कर्स के लिए काफी काम किये साथ ही साथ उसने अनाथ बच्चो का भी काफी खर्च उठाया और उन्हें पढ़ाने पर ध्यान दिया।गंगूबाई ने समाज में ऐसे लोग जो वंचित या अनाथ थे उनके लिए काफी काम किया। उन्होंने कई अनाथ बच्चो को गोद लिया और इनकी पढाई का जिम्मा भी उठाया। बताया जाता है कि उस समय गंगूबाई की इज़ाज़त के बिना कोई भी व्यक्ति कोठे के अंदर नहीं जा सकता था यहाँ तक की मुंबई के बड़े बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन भी उस समय गंगूबाई की मर्ज़ी के बगैर कोठे पर कदम नहीं रखते थे।
60 के दशक में सेक्स वर्कर्स के प्रति उनके हक़ की लड़ाई में गंगूबाई के भाषण उस समय अखबारों में काफी सुर्खियों में रहे। हुसैन जैदी की किताब में यहां तक जिक्र है कि गंगूबाई उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू से मिली थीं।