शिया वक् बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी की कुरान से आयत हटाने को लेकर दिए गए बयान और सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका के बाद अब बवाल तेज़ हो गया है। लखनऊ में उनके खिलाफ थाने में तहरीर भी दी जा चुकी है तो वही कुछ लोगो ने उनके घर के बाहर कुरान पढ़कर अपना विरोध ज़ाहिर किया। महिलाओं ने वसीम रिज़वी के पोस्टर भी जलाए तो वही मुश्लिम धर्मगुरुओ ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।
क्या है मामला
शिया वक बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की।जिसमे उन्होंने कुरान से 26 आयतों को हटाने की अपील की है। वसीम रिज़वी का कहना है कि इन आयतो से पूरी दुनियाँ में इस्लामिक आतंकवाद फ़ैल चुका है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कश्मीरी हिन्दुओ के साथ भी इन्ही आयतों की तिलावत करके जुल्म और जाति की गई और उन्हें वहां से निकाला गया। ऐसी घटनाएं देश में कई जगह हो चुकी। इस्लाम के नाम पर गैर धर्म के लोगों को मार दिया जाता है। जिसको लेकर वसीम रिज़वी ने याचिका दायर की है और मांग की है कि कुरान ने उन 26 आयतो को हटाया जाए जो इंसान से इंसान को और धर्म से धर्म को तोड़ने का कार्य करती है।
नेशनल सदर मुश्लिम महिला फाउंडेशन ने क्या कहा
देश भर में जहां वसीम रिज़वी के खिलाफ प्रदर्शन और उनका विरोध हो रहा है तो वही इस मामले पर मुश्लिम महिला फाउंडेशन की प्रेसीडेंट नाजनीन अंसारी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा है कि कुरान-ए-पाक पर टीका टिप्पणी करने का अधिकार किसी को नही है। कुरान की आयत को हटाना संविधान के क्षेत्र में आता है या नही ? मगर किसी को इस्लाम से खारिज करना क्या इस्लाम के दायरे में आता है? क्या दीन किसी की जायदाद है, जिसमे लोगों को दाखिल और खारिज़ कराया जाता है? लकुम दीनकुम वले यदीन की बात हमे इस्लाम ही सिखाता है। आज क़ुरान की इस बात को लोग भूलते जा रहे हैं और पता नही किसने इन्हें अधिकार दे दिया है कि ये धर्मगुरु लोगों को इस्लाम मे दाखिल और खारिज़ करा रहे हैं।
साथ ही उन्होंने कहा है कि मेरा पूछना है कि क्या इन्होंने आतंकवादियों की जनाजे की नमाज़ से इनकार किया ? क्या इन्होंने उन आतंकवादियों पर फतवे लागू किया? क्या उन्हें दीन से खारिज करने की बात कही? क्या उनके लिए कब्रिस्तान में ज़मीन देने से मनाही की? नहीं की और न ही कभी करेंगे बल्कि उनके जनाजों में लोग उमड़ उमड़ कर टूट पड़ेंगे और उनके परिवारों की आर्थिक मदद भी करेंगे। इन सबके की जगह अगर कोई मुसलमान इनके मनगढ़त रास्तों पर न चलकर अपना रास्ता खुद बनाता है तो इनको दिक्कत होने शुरू हो जाती है। और तो और इन्हें उस इंसान को सजा दिलाने के लिए भी भारतीय संविधान का सहारा लेना पड़ता है जिस संविधान को न तो ये मानते हैं और न ही उस पर चलते हैं।
नाज़नीन का ये बयान तब आया है कुछ मुश्लिम धर्मगुरुओं ने वसीम रिज़वी के कब्रिस्तान में दफ़नाये जाने पर रोक लगाने की बात कही है।जिसमे कहा गया है कि वसीम रिज़वी मुसलमान नहीं हैं, लिहाजा उन्हें मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया भी नहीं जा सकता है। यहां तक कि कोई भी आलिम उसके जनाजे की नमाज भी न पढ़ाये।